Exploring the depths of love and the consequences of taking life lightly, 'हद से आगे' is a soulful ballad by Arijit Singh. The song captures the emotional journey of a person who loses everything in the pursuit of love, only to find loneliness upon achieving their goals. Arijit's soothing voice and expressive lyrics make this song a touching reflection on love, loss, and memories that linger.
जब मैं हद से आगे बढ़ गया था आशिकी में
यानी ज़िंदगी को ले रहा मज़ाक ही में
फिर मज़ाक ही में मिल गया सब खाक ही में
छू कर आया मंजिलें तो तन्हा था मैं वापसी में
जैसे फूल तोड़े होंगे तुमने झोली भर के
मैं वो फूल जो के रह गया था शाख ही में
जैसे ख्वाब ही मैं ख्वाबगाह आँख ही में
पल से पल में क्या हुआ तुम रह गये बस याद ही में
एक सवाल मचलता है मेरे दिल में
कभी तुझे मैं भूल जाऊँ या तुझे मैं याद करूँ
तुझी को सोच के लिखता हूँ जो भी लिखता हूँ
अब लिख रहा हूँ तो फिर क्यूँ ना एक सवाल करूँ
मैं इस सवाल से ग़म को बदल दूँ खुशियों में
पर इन बेजान सी खुशियों से क्या कमाल करूँ
पर अब सवाल भी कमाल तू संभाल ले फिलहाल
ये ज़वाल बिछा जाल क्या मैं चाल चलूँ
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जब मैं हद से आगे बढ़ गया था आशिकी में
यानी ज़िंदगी को ले रहा मज़ाक ही में
फिर मज़ाक ही में मिल गया सब खाक ही में
छू कर आया मंजिलें तो तन्हा था मैं वापसी में
जैसे फूल तोड़े होंगे तुमने झोली भर के
मैं वो फूल जो के रह गया था शाख ही में
जैसे ख्वाब ही मैं ख्वाबगाह आँख ही में
पल से पल में क्या हुआ तुम रह गये बस याद ही में
एक सवाल मचलता है मेरे दिल में
कभी तुझे मैं भूल जाऊँ या तुझे मैं याद करूँ
तुझी को सोच के लिखता हूँ जो भी लिखता हूँ
अब लिख रहा हूँ तो फिर क्यूँ ना एक सवाल करूँ
मैं इस सवाल से ग़म को बदल दूँ खुशियों में
पर इन बेजान सी खुशियों से क्या कमाल करूँ
पर अब सवाल भी कमाल तू संभाल ले फिलहाल
ये ज़वाल बिछा जाल क्या मैं चाल चलूँ